भोपाल। विश्व कैन्सर दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक प्रेस वार्ता में सम्भावना ट्रस्ट क्लिनिक के सदस्यों सामुदायिक शोध कर्मी फरहत जहां, प्रयोगशाला प्रभारी महेंद्र कुमारी सोनी, स्त्री रोग सहायिका अजीजा सुल्तान सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मी दीपा मंडराई, सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मी भगवान सिंह, नरगिस नाज ने भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे के पीडि़तों में कैन्सर के खतरनाक फैलाव पर आंकड़े पेश किए गैस पीडि़त कैन्सर रोगियों की इलाज की सुविधाओं की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए सदस्यों ने गैस पीडि़त आबादी में कैंसर रोगियों के सही पंजीकरण की व्यवस्था स्थापित करने पर जोर डाला।
सदस्यों ने कहा कि हमारे आंकड़े यह दर्शाते हैं कि भोपाल में जहरीली गैस से अप्रभावित आबादी के मुकाबले गैस पीडि़त आबादी में आठ गुना ज़्यादा लोग कैन्सर की चपेट में हैं अपीडि़त आबादी की अपेक्षा यूनियन कार्बाइड के ज़हरीली कचरे से प्रदूषित भूजल से पीडि़त आबादी में लगभग दो गुना ज़्यादा लोगों को कैन्सर है। ये आंकड़े उन्ही लोगों के हैं जिन्हें डाक्टरी जांच के बाद कैन्सर ग्रस्त पाया गया और जिनके चिकित्सीय कागजातों की प्रतिलिपि हमारे पास उपलब्ध है। क्लिनिक की सामुदायिक शोध कर्मी फरहत जहां और प्रयोगशाला प्रभारी महेन्द्र सोनी के मुताबिक गैस पीडि़तों में गले, फेफड़े, मुंह, पेट और स्तन के कैन्सर प्रमुखता से हैं। हमने यह पाया है कि गैस काण्ड से गम्भीर रूप से प्रभावित इलाके में कैन्सर से मरने की दर अप्रभावित इलाके से दोगुना है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ अक्टूबर 2019 तक 8551 कैन्सर ग्रस्त गैस पीडि़तों को सहायता राशि दी जा चुकी है । जहां हजारों गैस पीडि़त कैन्सर की चपेट में आ रहे हैं, वहां केंद्र तथा प्रदेश की सरकारों द्वारा गैस पीडि़तों के इलाज के लिए खोले गए अस्पतालों में कैन्सर के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। कैन्सर ग्रस्त गैस पीडि़तों को प्रायवेट या ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पतालों में भेज दिया जाता है पर इन अस्पतालों को पिछले एक साल से सरकार द्वारा धनराशि उपलब्ध न कराए जाने से गैस पीडि़तों के इलाज की गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ रहा है। निगरानी समिति द्वारा ढाई साल पहले कैन्सर ग्रस्त गैस पीडि़तों के प्रशामक चिकित्सा की व्यवस्था की सिफारिश पर आज तक सरकार द्वारा कोई कदम उठाया नहीं गया है। क्लिनिक में स्त्री रोग सहायिका अजीजा सुलतान कैन्सर ग्रस्त गैस पीडि़तों के पंजीकरण की गलत व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि कैन्सर ग्रस्त गैस पीडि़तों के पंजीकरण में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् द्वारा 1985 में स्थापित आबादी आधारित कैन्सर पंजीकरण जानबूझ कर लापरवाही बरत रही है। जबकि गैस काण्ड की वजह से कैन्सर के प्रसार व प्रभाव पर निगरानी रखने के लिए यह व्यवस्था बनाई गयी थी। क्लिनिक की सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मी दीपा मंडराई ने कहा यूनियन कार्बाइड के पीडि़तों के नि:शुल्क इलाज के लिए 1996 में स्थापित सम्भावना ट्रस्ट क्लिनिक में आज तक 25270 गैस पीडि़त और 7383 प्रदूषित भूजल पीडि़त लोगों का इलाज हुआ है।
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