भोपाल। मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार सूचना के अधिकार कानून के तहत अधिकारी के विरुद्ध जमानती वारंट जारी करने का नोटिस सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जारी किया है। मामला रीवा जिले के जनपद पंचायत नईगढ़ी के ग्राम पंचायत जोरौट में निर्माण कार्य की जानकारी का है। 2017 में इसके लिए जानकारी मांगी गई थी। 30 दिन में मिलने वाली जानकारी पर जिम्मेदार अधिकारी 3 साल तक बैठे रहे। ना ही लोक सूचना अधिकारी ने इसका कोई जवाब दिया नाही प्रथम अपीलीय अधिकारी ने इस मामले में कोई सुनवाई की। जब मामला सुनवाई के लिए राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के पास पहुँचा तो भी इस मामले में आदेश के बावजूद जनपद के लोक सूचना अधिकारी दिलीप सिंह केवट आयोग के समक्ष 26 अप्रैल 2019 को हाज़िर नही हुए। राज्य सूचना आयुक्त ने अधिकारी को एक और मौका देते हुए ज़ुर्माने का कारण बताओ नोटिस जारी कर अधिकारी को सुनवाई के लिए 5 मार्च 2020 को हाज़िर होने के आदेश दिए गए। लेकिन अधिकारी दूसरी बार भी सुनवाई से गायब रहे और कोई जवाब भी नही भेजा। इसके बाद सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने केवट के ऊपर 10000 का ज़ुर्माना भी लगा दिया। साथ ही अधिकारी को व्यक्तिगत तौर पर आयोग में मांगी गई जानकारी के साथ हाज़िर होने के आदेश जारी किए है। अपने आदेश में राहुल सिंह ने कहा है कि अगर अधिकारी आयोग के समक्ष नियत तिथि को हाज़िर नहीं होत्र है तो उनके ख़िलाफ़ ज़मानती वारंट जारी किया जाएगा।
आयोग के पास हैं सिविल न्यायालय की शक्तियां
आयुक्त राहुल सिंह के मुताबिक़ सूचना के अधिकार कानून के तहत साक्ष्य को पेश करने और व्यक्तियों को सम्मन करने के लिए सूचना आयोग को वही शक्तियां प्राप्त होती है जो सिविल प्रक्रिया सहिंता 1908 के अधीन सिविल न्यायालय में निहित होती है। राहुल सिंह ने ट्विटर पर लॉकडाउन के चलते इस पेंडिंग आदेश को जारी किया है। सिंह के अनुसार अब लॉकडाउन खुलने के बाद सुनवाई की नई तारीख़ मुक़र्रर की जाएगी।
सोशल मीडिया में जबरदस्त प्रतिक्रिया
अपने आप मे इस तरह के पहले मामले को लेकर सोशल मीडिया में जबरदस्त प्रतिक्रिया हो रही है। रीवा के सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्वेवेदी लिखते है कि मप्र के सूचना आयोग के इतिहास में पहली बार किसी पीआईओ को जमानती वारंट इशू करने की नोटिस दिया गया है। इससे सूचना के क्षेत्र में क्रांति आना तय है। आलोक घोष, बंगाल से लिखते है कि अन्य राज्यो के सूचना आयुक्त को भी इस तरह के निर्णय लेने चाहिए। मध्यप्रदेश के ही श्रेयांश पांडेय लिखते है कि ऐसा ऐतिहासिक निर्णय मप्र के इतिहास में अब तक नहीं लिया गया है ऐसे में हम युवा वर्ग को समाज मे कार्य करने के लिए नई दिशा के साथ ऊर्जा भी मिल रही है।
अधिकारी जानकारी देना ही नहीं चाहते: सिंह
सूचना आयुक्त राहुल सिंह का कहना कि हरियाणा में ज़मानती वारंट भेजे जाते है। मध्यप्रदेश में आमतौर पर जानकारी उपलब्ध हो जातीं है इसलिए इसकी जरूरत नही पड़ी। पर इस मामले में अधिकारी को जुर्माने से भी परहेज़ नही है बल्कि जानकारी देना ही नही चाहता है।
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