भोपाल। नौ दिनों तक देवी की आराधना करने के बाद देवी प्रतिमाओं के विसर्जन का सिलसिला मंगलवार को शुरू हुआ और बुधवार को खत्म हुआ। नम आंखों से देवी को विदाई दी गई। महिलाएं भी बड़ी संख्या में देवी प्रतिमाओं के साथ नदी तक पहुंची। बंगाली समाज ने भी प्रतिमा का विसर्जन किया। बंगली समाज की ओमिता पार्थोदास ने बताया कि नव भोपाल बंगीय समिति दानिश कुंज कोलार द्वारा इस वर्ष भी सुबह पुष्प अर्पण के बाद दर्पण पूजा में मां दुर्गा की प्रतिमा नीचे पानी में रखकर दर्पण से मां दुर्गा के दर्शन किए। वहीं मां दुर्गा को सिंदूर लगाया और अगले बरस फिर से आने का न्यौता दिया गया। वहीं महिलाओं ने मां का आशीर्वाद लेकर सिंदूर खेला। महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद लिया। सिंदूर खेलने के वक्त विवाहित महिलाएं पान के पत्तों से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श करते हुए उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाकर अपने सुहाग की लंबी आयु की मुराद मांगती हैं। इसके बाद महिलाएं मां को पान और मिठाई का भोग अर्पित करती हैं। जिसके उपरांत महिलाएं आपस मे सभी महिलाओं को सिंदूर लगाकर सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद मांगती हैं। इस अवसर पर ओमिता पार्थो दास, कृष्णा चटर्जी, शोम्पा मजूमदार, प्याली चक्रवती, चुमकी चक्रवती, सुप्रिया बैनर्जी, मुनमुन भट्टाचार्य, सुलेखा भट्टाचार्य, सुस्मिता और तृप्ति और कृष्णा दास मौजूद थी।
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