सहकारिता के माध्यम से वित्तीय समावेशन एवं डिजिटिलीकरण पर वैचारिक संगोष्ठी सम्पन्न
भोपाल । सहकारिता के माध्यम से सदस्यों और उपभोक्ताओं को प्रदान की जा रही सेवाओं के बारे में वित्तीय रूप से साक्षर बनाकर जहां एक ओर संस्थाओं की सेवाओं को अधिक जनोन्मुखी बनाया जा सकेगा, वहीं दूसरी ओर वित्तीय साक्षरता से वित्तीय अनियमितताओं को भी आसानी से नियंत्रित किया जा सकेगा। सहकारी संस्थाओं के डाटाबेस का डिजिटलीकरण भी किया जाना जरूरी है, इससे संस्थाओं के कार्य-व्यवहार एवं लेखाओं को अधिक पारदर्शी एवं प्रमाणिक बनाया जा सकेगा। यह बात शुक्रवार को सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ने अपेक्स बैंक के समन्वय भवन में अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह के समापन अवसर पर आयोजित वैचारिक संगोष्ठी में संदेश के माध्यम से कही। संगोष्ठी का विषय 'सहकारिता के माध्यम से वित्तीय समावेशन, डिजिटलीकरण एवं सोशल मीडिया'' था।
मंत्री डॉ. भदौरिया ने कहा कि सहकारी संस्थाओं की पहुँच अत्यंत गहरी है एवं ग्राम स्तर तक लाखों-करोड़ों उपभोक्ता एवं किसानों की दैनंदिनी आवश्यकताओं की पूर्ति इन संस्थाओं के द्वारा लगातार की जाती है। वित्तीय लेन-देन को डिजीटल माध्यम (कैशलेस) से करने हेतु भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार बल दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में डिजीटल माध्यमों का महत्व और उपयोगिता और अधिक बढ़ जाती है। मध्यप्रदेश में सहकारी संस्थाओं के डिजिटलीकरण हेतु मध्यप्रदेश शासन, अपेक्स बैंक एवं नाबार्ड द्वारा वित्तीय सहायताएँ स्वीकृत की गई हैं। उन्होंने कहा कि दृढ़ इच्छाशक्ति से शीघ्र ही प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों का कम्प्यूटरीकरण कार्य आरंभ हो सकेगा।
बाजार में टिकने वर्तमान के साथ चलना होगा : उमराव
प्रमुख सचिव, सहकारिता उमाकांत उमराव ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान दौर में यदि बाजार में टिके रहना है तो वर्तमान के साथ चलना होगा। आज का समय 'डिजिटल' का है। सहकारिता क्षेत्र में कार्य करने वाले अधिकारी और कर्मचारी को इसमें पारंगत होना बहुत जरूरी है, क्योंकि आने वाला समय और अधिक चुनौतीपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि प्राथमिक सहकारी साख समितियों का शीघ्र कम्प्यूटराईजेशन किया जाना जरूरी है। आजकल शिक्षित होने का मतबल 'डिजिटल' कार्य-प्रणाली के क्षेत्र में पारंगत होना है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में सहकारिता सर्विस प्रोवाईडर के रूप में कार्य कर रही है। इसके माध्यम से उपार्जन, खाद-बीज एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत सामान उपलब्ध कराते हैं। आज का युग 'सर्विस प्रोवाईडर' का नहीं, बल्कि 'साल्यूशन प्रोवाईडर' का है। अत: पूरे प्रदेश में सहकारिता क्षेत्र में कार्यरत अधिकारी/कर्मचारी को वर्तमान आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए प्रगति पथ पर ले जाना है, यह संकल्प आज के दिन पूरे प्रदेश में इस कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से देखने वाले सभी लोग लें।
सहकारी संस्थाओं को मजबूत करें : डॉ. अग्रवाल
संगोष्ठी के प्रारंभ में आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएँ डॉ. महेश अग्रवाल ने अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह अंतर्गत 14 से 20 नवम्बर तक आयोजित किये गये कार्यक्रमों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन को गति देने के लिये सहकारिता एवं सहकार की भावना को समझें और सहकारी संस्थाओं को मजबूत करें। वित्तीय समावेशन के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को जोड़कर सहकारी संस्थाओं को सुदृढ़ बनायें। संगोष्ठी में महाप्रबंधक नाबार्ड डी.एस. चौहान व रिजर्व बैंक की सहायक महाप्रबंधक सुश्री ज्योति सक्सेना ने भी अपने विचार रखे। डिजिटलीकरण व सोशल मीडिया के संबंध में आई.टी. विशेषज्ञ मोहित शुक्ला ने प्रकाश डाला। विषय-विशेषज्ञ लोकेन्द्र सिंह राजपूत ने सोशल मीडिया का छवि निर्माण एवं व्यवसाय में वृद्धि के लिये अधिक से अधिक उपयोग का सुझाव दिया। आभार प्रदर्शन अपेक्स बैंक के प्रबंध संचालक प्रदीप नीखरा ने किया। संगोष्ठी में सहकारिता विभाग, सहकारी संस्थाएँ एवं बैंक के अधिकारीगण शामिल हुए। कार्यक्रम में कोविड-19 की गाइडलाइन व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बैठक व्यवस्था समन्वय भवन के हॉल में की गई।
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