अनूप पौराणिक
बीते वर्ष भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कई देश जो आर्थिक रूप से मजबूत माने जाते थे कोरोना से प्रभावित हुए। हजारों जाने गईं और डर का वातावरण भी बना। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा, लेकिन भारत की जनता की दृढ़ इच्छा शक्ति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से कोरोना की जंग में हम सफलता की ओर मजबूती से आगे बढ़े। नए साल का इंतज़ार हर किसी को था। इस आशा के साथ की नए साल में सबकुछ ठीक होगा। कोरोना हारेगा और ज़िंदगी एक बार फिर पटरी पर आ जाएगी। हुआ भी कुछ ऐसा ही जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को 3 जनवरी को वैक्सीन का खुशनुमा उपहार दिया तो पूरे देश में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। पीएम मोदी ने देशवासियों को ट्वीट कर कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी मिलने पर बधाई दी है। वैक्सीन की मंजूरी को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक मोड़ बताया। जहां मोदी ने इसे आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम बताया वहीं विपक्ष ने इसे असुरक्षित और बीजेपी का टीका तक बता दिया जो बहुत दुःख की बात है जब देश आपातकाल की स्थिति से गुजर रहा हो और भारत के वैज्ञानिकों ने दिन रात मेहनत कर टीका तैयार किया हो ऐसे में इस तरह के बयान बहुत गैरजिम्मेदाराना लगता है। जब देश की जनता के जीवन और मरण का सवाल हो वहां राजनीति किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए ठीक नहीं है। पक्ष हो या विपक्ष हर किसी को दिल खोलकर इस निर्णायक पहल का स्वागत करना चाहिए। आत्मनिर्भर भारत की ओर एक बड़ा कदम- जो लोग भारत को इस दृष्टि से देखते थे कि सारी दुनिया जिस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके छोड़ देती है भारत उसका उपयोग करने वाला देश है या जो विश्व के अन्य देशों में असुरक्षित मानी जाती है उन दवाओं का उपयोग करने वाला देश है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कदम ने भारत की ऐसी छबि को विश्व पटल पर बदल कर रख दिया है। इस कदम ने साबित कर दिया है कि ये वो भारत नहीं जो दवाओं के लिए या उत्पादों के लिए किसी भी तरह से दूसरे देशों पर निर्भर है। ये नया भारत है जो हर आपदा से लड़ने में हर मुसीबत को मात देने में सक्षम है ।
जब प्रधानमंत्री ने माहौल बदल दिया -*
सारे विश्व में जब कोरोना नाम की इस महामारी ने आतंक मचाना शुरू किया और भारत में लॉक डाउन लगाया गया। तब दूसरे देशों में जहां भय का माहौल था और लोग आत्महत्या कर रहे थे। भारत ही एक मात्र ऐसा देश था जहां लोगों ने आत्मविश्वास और सकारात्मकता को बनाए रखा। कारण कही न कही हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी की सकारात्मकता भी थी क्योंकि उन्होंने डर वाले माहौल को उत्सव में बदल दिया लोगों ने कभी थाली बजाकर तो कभी दीये जलाकर उस मुश्किल दौर को भी आसानी से पार कर लिया।
घरेलू नुस्खों ने भी खूब साथ दिया-
WHO का मानना था कि अगर भारत में कोरोना फैला तो स्थिति अनियंत्रित हो जाएगी। भारत में मरीजों को बिस्तर नहीं मिलेंगे और भी बहुत कुछ कहा गया। मगर प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में आयुष मंत्रालय ने जो यौगिक डाइट चार्ट और काढ़े के सेवन का प्रचार प्रसार किया। उससे पूरी स्थिति ही बदल गई। सरकार की जागृति और सहयोग से भारत में स्थिति नियंत्रण में रही जो कि सम्पूर्ण विश्व के लिए बहुत आश्चर्य की बात है।
कैसे भारत में घर-घर पहुंचेगा टीका-
135 करोड़ भारतवासियों के लिए एक साथ टीका मुहैया कराना मुमकिन नहीं है। इसलिए सरकार ने प्राथमिकता तय की है। भारत सरकार शुरुआत में केवल 25 से 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण ही कर सकती है। पिछले काफी महीनों से जो हेल्थकेयर वर्कर जान की बाज़ी लगाकर काम कर रहे हैं, वो सरकार की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर हैं।फिर 65 साल से ज़्यादा उम्र वालों को टीका लगेगा। उसके बाद 50 से 65 साल वालों को टीकाकरण अभियान में प्राथमिकता दी जाएगी। भारत पहले से ही लगभग चार करोड़ गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों को 12 तरह की बीमारियों से बचाने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी टीकाकरण योजना चलाता है भारत के पास ऐसे वैक्सीन को स्टोर करने की भी बेहतर क्षमता है। भारत में कुल दो लाख 23 हज़ार नर्सें और दाइयों में से एक लाख 54 हज़ार नर्सों और दाइयों को इस योजना में शामिल किया जाएगा। ये नर्सें और दाइयाँ कोरोना वैक्सीन को लोगों तक पहुँचाएंगी। इसके अलावा नर्सिंग की पढ़ाई करने वाले आख़िरी साल के छात्रों को भी वॉलिंटयरशिप लिए आमंत्रित किया जाएगा।
(लेखक युवा पत्रकार है)
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