दिल्ली। अरुषी निशंक एक बेहतरीन कथक डांसर, एक्ट्रेस और आंत्रप्रेन्योर हैं। वे एक पॉवरफूल सोशल एक्टिविस्ट और एनवायर्नमेंटल कंज़र्वेशनिस्ट हैं, जो अपने स्थापित एनजीओ, स्पर्श गंगा के माध्यम से गंगा नदी के संरक्षण, नमामि गंगा अभियान के माध्यम से गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने और पृथ्वी को बचाने के लिए अधिक पेड़ लगाने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए भावुक और प्रेरित हैं। यह देखते हुए कि अरुषी ने सेव द अर्थ क्षेत्र में कई प्रोजेक्ट्स का समर्थन किया है, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उन्हें वर्ल्ड एनवायर्नमेंट डे पर यूनाइटेड नेशंस एनवायर्नमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) फेथ फॉर अर्थ काउंसलर्स रिकग्निशन सेरेमनी के लिए ऑनलाइन गेस्ट ऑफ ऑनर बनने के लिए एप्रोच किया गया था। फेथ-बेस्ड ऑर्गेनाइजेशंस के साथ साझेदारी में आयोजित कई पहलों और सम्मेलनों के बाद, यूनाइटेड नेशंस एनवायर्नमेंट ने नवंबर 2017 में फेथ फॉर अर्थ इनिशिएटिव लॉन्च किया।
अरुषी निशंक, जिन्हें पिछली बार टी-सीरीज के म्यूजिक वीडियो, 'वफा ना रास आई' में देखा गया था, को गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में चुना गया और उन्होंने अपने एनजीओ स्पर्श गंगा जैसे समर्थित कार्यों पर बात की। वर्ष 2008 में, उत्तराखंड में गंगा नदी और पर्यावरण सुरक्षा और नमामि गंगे के संरक्षण के उद्देश्य से उनके द्वारा एक अभियान का प्रचार किया गया, जिसे भारत सरकार ने पवित्र बारहमासी को सभ्यताओं के लिए प्रदूषण मुक्त बनाने के उद्देश्य से संचालित किया गया। इसी पर बात करते हुए अरुषी कहती हैं, "इस कोविड-19 स्थिति में, हमने दो प्रमुख बातें समझीं, पहली, मानवता का महत्व और दूसरा ऑक्सीजन। यह समय बीत जाएगा, लेकिन हमें इससे जुड़े पहलुओं के बारे में सोचना होगा। ऑक्सीजन की कमी के कारण हमने अपनों को खोया है। हम सभी जानते हैं कि ऑक्सीजन का सबसे बड़ा स्रोत पेड़ हैं, तो आइए अधिक से अधिक पेड़ लगाने और ऑक्सीजन बचाने का संकल्प लें।"
प्रतिष्ठित यूनाइटेड नेशंस एनवायर्नमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) और यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) द्वारा संचालित द फेथ फॉर अर्थ काउंसलर्स रिकग्निशन सेरेमनी, 6 महीने के लंबे प्रोग्राम का एक हिस्सा है, जो जनवरी 2021 में यूएनईपी फेथ फॉर अर्थ के मार्गदर्शन और समर्थन के तहत नैरोबी, यूएनईपी इंडिया और यूनाइटेड रिलिजंस इनिशिएटिव तीन देशों यानी भारत, लेबनान और बोस्निया-हर्जेगोविना में शुरू हुआ था। इस प्रोग्राम के तहत, असोसिएशन्स ने फेथ-बेस्ड ऑर्गेनाइजेशंस का एक एक्टिव नेटवर्क स्थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है, जो वर्तमान एनवायर्नमेंटल अर्जेंसीज़ को संबोधित कर सकते हैं, जिनसे हमें खतरा है। बड़ी संख्या में फेथ-बेस्ड ऑर्गेनाइजेशंस के लिए डेटा एकत्र करने, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की एक लंबी कठिन प्रक्रिया के बाद, वे अंततः कुछ फेथ-बेस्ड ऑर्गेनाइजेशंस की पहचान करने में सक्षम हुए हैं, जिन्हें ऑनलाइन सेरेमनी में सम्मानित किया जा सकता है और साथ ही मान्यता दी जा सकती है। गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में, अरुषी निशंक ने इनमें से प्रत्येक ऑर्गेनाइजेशन को फेथ फॉर अर्थ काउंसलर की उपाधि से सम्मानित किया।
अरुषी निशंक के एनजीओ, स्पर्श गंगा के बारे में
एक नॉन-प्रॉफिटेबल इनिशिएटिव, स्पर्श गंगा की वर्ष 2008 में उत्तराखंड में गंगा नदी के संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा के उद्देश्य से शुरुआत की गई थी। स्पर्श गंगा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 80 कॉलेजेस के साथ 'जल संरक्षण' और 'यमुना नदी' के लिए जागरूकता उत्पन्न की। जागरूकता कार्यक्रमों के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजेस में वृक्षारोपण अभियान भी चलाया गया। स्पर्श गंगा विभिन्न माध्यमों जैसे वृक्षारोपण स्वच्छता कार्यक्रमों, नदियों की सफाई आदि के माध्यम से जागरूकता फैलाकर जमीन से जुड़कर कार्य करती है। स्पर्श गंगा स्वयंसेवकों ने उत्तराखंड के 150 से अधिक स्कूल्स में पर्यावरण, गंगा नदी और जल संरक्षण पर जागरूकता अभियान का संचालन किया है। स्पर्श गंगा ने हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए एक पहल के रूप में भारत में विभिन्न स्थानों पर वृक्षारोपण अभियान का भी संचालन किया है। वर्ष 2018 में स्पर्श गंगा टीम ने भारत में पांच लाख से अधिक पेड़ लगाए। भारत ही नहीं, स्पर्श गंगा पांच से अधिक देशों में जल संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा के लिए कार्य कर रही है। स्पर्श गंगा ने स्वच्छ गंगा के लिए जागरूकता पहल साइक्लोथॉन का आयोजन किया। यह 23 किमी साइकिल दौड़ ऋषिकेश, त्रिवेणी घाट से हरिद्वार, विप घाट तक शुरू हुई। इस आयोजन में 2000 से अधिक साइकिल चालकों ने भाग लिया। स्पर्श गंगा ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट महिलाओं को पुरस्कृत करने के लिए IWEP के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला अधिकारिता शिखर सम्मेलन और पुरस्कारों का भी आयोजन किया, इस कार्यक्रम को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और पेयजल मंत्रालय द्वारा समर्थित किया गया था। अप्रैल 2020 में स्पर्श गंगा टीम के साथ एक पहल की गई, जिसमें कोविड-19 से रक्षा के लिए "रक्षा सूत्र से पहले, रक्षा कवच" के उद्देश्य से नई दिल्ली, रुड़की और हरिद्वार में सेना को 2 लाख खादी मास्क वितरित किए गए। स्पर्श गंगा एनएबीएच फाउंडेशन के सहयोग से उत्तराखंड, रुड़की, हरिद्वार में हजारों महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करती है, वे गंगा नदी में तैर रहे बेकार फूलों से अगरबत्ती बना रही हैं। स्पर्श गंगा, महिलाओं को ट्राइकोन सोसाइटी के सहयोग से जैविक कार्यों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती है; महिलाओं को बिमल के पेड़ से टोकरियाँ बनाने का काम दिया जाता है। स्पर्श गंगा द्वारा अब तक लगभग 1000 महिलाओं को सर्कुलर इकोनॉमी के तहत नियोजित किया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजेस के सहयोग से, उन्होंने महिलाओं और छात्रों को सैनेटरी पैड्स बनाने के लिए शामिल किया और प्रशिक्षित किया, जिन्हें बाद में समाज के कमजोर वर्ग की महिलाओं को वितरित किया गया। हाल ही में स्पर्श गंगा और आरुषि निशंक ने उत्तराखंड के लिए कोविड-19 राहत के लिए एक अभियान शुरू किया है, जिसके अंतर्गत उत्तराखंड के आंतरिक क्षेत्रों में राशन और चिकित्सा किट्स वितरित किए गए हैं।
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