सीध में आये जुपिटर को देखिये चमक और विशालता के साथ : सारिका घारू
भोपाल। करवा चौथ के चंद्र दर्शन की रात के बाद गुरुवार की रात होगी गुरूदर्शन की रात । अन्य सभी ग्रहों की तुलना में दुगने से भी अधिक विशाल बृहस्पति,गुरू या जुपिटर 2 नवम्बर को पृथ्वी के सबसे पास होगा तो शुक्रवार 3 नवम्बर को यह अपोजीशन की स्थिति में होगा । इस खगोलीय घटना की जानकारी देते हुये नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि सूर्य की परिक्रमा करते हुये पृथ्वी और बृहस्पति गुरूवार को इस स्थिति में पहुंच रहे हैं कि पृथ्वी से बृहस्पति की दूरी सबसे कम होगी इसे जुपिटर एट पेरिजी कहते हैं । इस समय यह पृथ्वी से 59 करोड़ 57 लाख 59 हजार किमी दूर रहेगा । इसके बाद यह दूरी बढ़ना आरंभ हो जायेगी ।इसके अगले दिन 3 नवम्बर को भारतीय समयानुसार प्रात: 10 बजकर 25 मिनिट पर जुपिटर इस स्थिति में रहेगा कि पृथ्वी से एक ओर सूर्य तो दूसरी ओर जुपिटर होगा अर्थात ये दोनो 180 डिग्री पर होंगे । इस खगोलीय घटना को जुपिटर एट अपोजीशन कहते हैं ।
सारिका ने बताया कि जुपिटर मेष तारामंडल में रहेगा और शाम को पूर्व दिशा में उदित होकर लेकर रात भर आकाश मे रहकर सूर्योदय से कुछ पहले पश्चिम दिशा में अस्त होगा । यह आकाश में जुपिटर को देखने का साल का सबसे अच्छा समय है क्योंकि पास रहने से यह अपेक्षाकृत बड़ा और माईनस 2.9 मैग्नीटयूड से चमकदार दिखेगा । शाम के समय यह पूर्व मे चमकते हुये खाली आंखो से ही देखा जा सकता है । अब तक जुपिटर के 95 मून खोजे गये हैं । अगर आप किसी सामान्य टेलिस्कोप से जुपिटर को देखेंगे तो इसके 4 मून आसानी से देख पायेंगे ।
सारिका ने बताया कि जुपिटर एट अपोजीशन की अगली घटना 8 दिसंबर.2024 को होगी । तो तैयार हो जाईये सौरमंडल के सबसे विशाल ग्रह को आपके पास आने का स्वागत कर दर्शन करने के लिये।
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