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भारत भवन ने प्रदेश को पहचान दिलाने अहम भूमिका निभाई : डॉ. मोहन यादव



मुख्यमंत्री ने की घोषणा, भारत भवन में पुनः प्रारंभ होगा रंगमंडल

15 कला मनीषियों को मिला राज्य शिखर सम्मान

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कलाएं स्वयं बोलती हैं और हमारी संस्कृति को पोषित एवं पल्लवित करती हैं। मध्यप्रदेश कला की धरती है और यहां से कई विश्व प्रसिद्ध कला मनीषी हुए हैं। भारत भवन ने प्रदेश को कला के गौरव स्थल के रूप में पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। हम सभी भारत भवन के गौरवशाली अतीत के साक्षी हैं। भारत भवन की 43वीं वर्षगांठ के अवसर पर राज्य शिखर सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह बात कही।

रंगमंडल की पुनःस्थापना की घोषणा

मुख्यमंत्री ने इस अवसर को खास बनाते हुए भारत भवन में रंगमंडल को पुनः प्रारंभ करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि रंगमंडल की वापसी केवल रंगमंच के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे कला जगत के लिए एक नई ऊर्जा और आनंद लेकर आएगी। मुख्यमंत्री की इस घोषणा का रंगमंच प्रेमियों और कलाकारों ने हर्षोल्लास के साथ स्वागत किया। वर्षों तक रंगकर्मियों के लिए एक प्रमुख मंच रहा भारत भवन का रंगमंडल अब फिर से जीवंत होने जा रहा है। इससे युवा रंगकर्मियों को नए अवसर मिलेंगे और प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को नया आयाम मिलेगा।

15 कला मनीषियों को मिला राज्य शिखर सम्मान

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को नया गौरव देते हुए वर्ष 2022 और 2023 के राज्य शिखर सम्मान प्रदान किए। इस दौरान 15 कला मनीषियों को उनके विशिष्ट योगदान के लिए शॉल, श्रीफल, सम्मान पट्टिका एवं दो लाख रुपये की सम्मान राशि देकर अलंकृत किया गया।

वर्ष 2022 के सम्मानित कलाकार:

हिंदी साहित्य: डॉ. उर्मिला शिरीष (भोपाल)
संस्कृत साहित्य: डॉ. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी (इंदौर)
शास्त्रीय संगीत: विदुषी कल्पना झोकरकर (इंदौर)
शास्त्रीय नृत्य: सुश्री मोहिनी मोघे पूछवाले (जबलपुर)
रूपंकर कला: ईश्वरी रावल (इंदौर)
नाट्य कला:  श्रीराम जोग (इंदौर)
जनजातीय एवं लोक कला: रामसिंह उर्वेती (पाटनगढ़)

वर्ष 2023 के सम्मानित कलाकार:

उर्दू साहित्य:  महमूद अहमद सहर (उज्जैन)
संस्कृत साहित्य: डॉ. गोविंद दत्तात्रेय गंधे (उज्जैन)
शास्त्रीय संगीत: विदुषी शाश्वती मंडल (दिल्ली)
शास्त्रीय नृत्य: विदुषी भारती होम्बल (भोपाल)
रूपंकर कला:  हरि भटनागर (जबलपुर)
नाट्य कला: सतीश दवे (उज्जैन)
जनजातीय एवं लोक कला: कैलाश सिसोदिया (धार)
दुर्लभ वाद्य वादन: पंडित सुनील पावगी (ग्वालियर)

कला संवर्धन के लिए सरकार के प्रयास :

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरकार निरंतर कलाकारों और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में कलाकारों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
रंगमंडल की पुनःस्थापना: थिएटर को नए अवसर और पहचान देने के लिए यह पहल की गई है। राज्य शिखर सम्मान : हर साल विभिन्न कला क्षेत्रों में उत्कृष्ट कलाकारों को सम्मानित किया जाता है। लोक कलाकार सम्मान निधि योजना : पारंपरिक लोक कलाकारों को आर्थिक सहायता दी जाती है। वरिष्ठ कलाकार पेंशन योजना : बुजुर्ग कलाकारों को मासिक पेंशन दी जाती है। वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव : खजुराहो नृत्य महोत्सव, तानसेन संगीत समारोह, मालवा उत्सव जैसे बड़े आयोजन किए जाते हैं। जनजातीय एवं लोक कलाओं का संरक्षण : लोक कलाकारों और पारंपरिक कला विधाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।

भारत भवन प्रदेश की कला आस्था का केंद्र : धर्मेन्द्र सिंह लोधी 

संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व राज्य मंत्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने कहा कि भारत भवन प्रदेश की कला आस्था का केंद्र रहा है। यहां से कलाकारों को नई पहचान मिलती है और नई कला पीढ़ी को सशक्त बनाने का कार्य किया जाता है। भारत भवन के न्यासी अध्यक्ष वामन केंद्रे ने कहा कि भारत भवन सदियों से कला और संस्कृति का संगम रहा है। भोपाल को देश के प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में भारत भवन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन शिवशेखर शुक्ला, संचालक संस्कृति एन.पी. नामदेव सहित बड़ी संख्या में कला प्रेमी, रंगकर्मी एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भारत भवन परिसर में आयोजित कला प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

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